भाग 1
कौन है ये अर्जुन दीक्षित?
दिल्ली, दोपहर के 3 बजे...
एक नौजवान लड़का अपनी hf deluxe बाइक से कहीं जा रहा होता है की तभी उसका ध्यान उसके पीछे चल रही कार पर जाता है। वो नोटिस करता है की वो कार बहुत देर से उसको फॉलो कर रही थी।
वो लड़का बाइक की स्पीड कम करता तो वो उस कार की भी स्पीड कम हो जाती, और जैसे ही स्पीड बढ़ता तो उस कार की भी स्पीड बढ़ती ।
आगे सिग्नल पर रेड लाइट होने की वजह से वो लड़का बाइक रोक लेता है । लेकिन उसका पीछा कर रहा कार वाला कार रोकने की बजाए कार की स्पीड बढ़ा कर उस लड़के की तरफ तेजी से बढ़ने लगता है ।
तभी वो लड़का अपनी बाइक मे बैठे बैठे पीछे मुड़कर देखता है । उसकी तरफ तेजी से आती कार को देख कर वो घबरा जाता है । इससे पहले की वो कुछ समझ पाता, वो कार उसको उड़ाते हुए वहां से सिग्नल तोड़ते हुए निकल जाती है।
वो बाइक सवार लड़का अपनी बाइक समेत लगभग 20 मीटर दूर तक घसीटता हुआ जाता है। लोग ये होता देख उसकी तरफ भागने लगते हैं । वो लड़का बहुत ज्यादा जख्मी हो चुका था । ऐसा लग रहा था अगर किसी ने जल्दी कुछ नही किया तो उसकी जान चली जाएगी ।
तभी वहां अचानक तीन से चार महंगी गाड़ियां आकर रूकती हैं । उन्ही कारों मे से एक कार के अंदर सूट बूट पहना हुआ एक अमीर आदमी बैठा हुआ था । वो आदमी इतनी भीड़ को एक जगह जमा देख कर अपने ड्राइवर से पूछता है , “ये यहां पर इतनी भीड़ क्यों जमा है ?”
“लगता है सर किसी का एक्सीडेंट हुआ है ?” वो ड्राइवर उस आदमी से कहता है ।
तभी वो आदमी कार से उतरता है । उसके कार से उतरते ही उसकी कार के पीछे वाली कारों से भी कुछ लोग उतरते हैं और उसके पीछे आकर खड़े हो जाते हैं । वो आदमी उस भीड़ की तरफ बढ़ने लगता है ।
उस आदमी के साथ चल रहे लोग भीड़ मे उसके आगे जाने के लिए जगह बनाने लगते हैं । जैसे ही वो आदमी उस बाइक सवार लड़के को देखता है , वो हैरान रह जाता है। वो आदमी भागता हुआ उस लड़के के पास जाता है और रोते हुए कहता है , “अर्जुन...! तुझे क्या हुआ बेटा ? ये सब कैसे हुआ ?”
तभी उस आदमी के साथ आए हुए लोगों में से एक आदमी उसके पास आकर उससे पूछता है , “सर ये लड़का कौन है ! और आप इसे कैसे जानते हो ?”
वो आदमी गुस्से से उस दूसरे आदमी को देखते हुए कहता है , “ये मेरा बेटा है । जल्दी से इसको हॉस्पिटल लेकर चलो । अगर इसको कुछ हो गया ना तो मैं पूरी दिल्ली में आग लगा दूंगा ।”
वो सभी उस लड़के को लेकर जल्द से जल्द एक नजदीक के हॉस्पिटल में पहुंचते हैं । वो आदमी जो उस लड़के को अपना बेटा बोल रहा था वो जल्द से जल्द डॉक्टर को उस लड़के इलाज करने के लिए कहता है ।
लगभग 6 घंटे तक उस लड़के का ऑपरेशन चलता है । ऑपरेशन होने के बाद डॉक्टर ऑपरेशन थियेटर से बाहर आता है और फिर उस आदमी को देखते हुए कहता है , “सर आप चिंता मत कीजिए , अब वो खतरे से बाहर है ।”
डॉक्टर की बात सुनने के बाद वो आदमी चैन की सांस लेता है । वो डॉक्टर को शुक्रिया कहता है और फिर वहीं पास मे एक बेंच पर बैठ जाता है । तभी उसके पास एक आदमी आता है और उससे पूछता है , “सर...! मुझे तो लगा था की आपकी सिर्फ एक बेटी ही है , तो फिर ये लड़का आपका बेटा कैसा ? ये तो किसी गरीब घर का लड़का नजर आ रहा है ?”
उस आदमी का सवाल सुनकर वो दूसरा आदमी कुछ नही बोलता और ऑपरेशन थियेटर की तरफ देखने लगता है ।
3 महीने पहले ,
अर्जुन दीक्षित, एक मिडिल क्लास परिवार मे रहने वाला साधारण सा लड़का । जो अपने माँ–बाप के गुजर जाने के बाद अपने छोटे भाई निहाल के साथ अपने चाचा चाची के साथ रहता था।
अर्जुन के चाचा का नाम प्रकाश , और उसकी चाची का नाम रेवती था । उनके 2 बच्चे भी थे जिनका नाम पूनम और सुमित था। पूनम और सुमित भी लगभग अर्जुन और निहाल की ही उम्र के थे ।
चारों भाई बहन के बीच बहुत गहरा रिश्ता था। वो चारों आपस मे इतने घुल मिल चुके थे की उन्हे कभी महसूस ही नही हुआ को वो लोग सगे भाई बहन नही हैं।
प्रकाश और रेवती ने भी कभी चारों बच्चों मे कोई भेदभाव नहीं किया। वो दोनो अर्जुन और निहाल को भी अपने ही बच्चे मानते थे।
अर्जुन को भी उनके साथ रहते हुए कभी महसूस नहीं हुआ की वो अपने माँ बाप के साथ नही बल्कि अपने चाचा चाची के साथ रह रहा है।
अर्जुन और पूनम दिल्ली के जाने माने कॉलेज Delhi University मे पढ़ते थे। वहीं निहाल और सुमित दिल्ली पब्लिक स्कूल मे पढ़ते थे ।
अर्जुन और पूनम को कॉलेज आने जाने मे दिक्कत ना हो इसलिए पूनम के पापा ने अर्जुन को बाइक खरीद कर दी थी। पूनम और अर्जुन रोज उसी बाइक से कॉलेज आना जाना करते थे।
कॉलेज मे अर्जुन का तो कोई खास नाम नही था, लेकिन पूनम अपनी खूबसूरती की वजह से कॉलेज मे बहुत पोपुलर थी। उसका इतना पॉपुलर होना अर्जुन को कभी कभी मुसीबत मे डाल देता था।
अक्सर पूनम को लेकर अर्जुन की दूसरे लड़कों से लड़ाई हो जाया करती थी। कोई भी अगर कभी पूनम के बारे मे गलत बोलता तो अर्जुन उनसे लड़ पड़ता था।
आये दिन अर्जुन कॉलेज से कभी आंख सुजवा के घर आता तो कभी उसका मुंह सूजा मिलता।
एक दिन ऐसे ही अर्जुन कॉलेज की कैंटीन मे बैठ कर बर्गर खा रहा होता है की तभी उसका ध्यान उससे कुछ दूरी पर बैठे एक लड़कों के ग्रुप की तरफ जाता है । वो लड़के उसकी बहन पूनम के बारे मे बातें कर रहे होते हैं ।
“अरे यार तुम्हे पता है ! मै आज डांस रिहरशल हॉल मे पूनम को डांस प्रैक्टिस करते हुए देखने के लिए गया था। वो डांस करते हुए इतनी सेक्सी लग रही थी ना की क्या बताऊं ! अगर उसके साथ वहां दूसरे स्टूडेंट्स नही होते तो मै उसे वहीं दबोच लेता।” उन्ही लड़कों में से एक लड़का हंसते हुए अपने दोस्तों से कहता है ।
जैसे ही अर्जुन उस लड़के के मुंह से अपनी बहन के बारे मे ये सब सुनता है, वो अपने पास रखी कुर्सी उठता है और उस लड़के की पीठ पर दे मारता है। वो लड़का दर्द से करहाते हुए वहीं जमीन पर तड़फड़ाने लगता है।
जैसे ही उस लड़के के दोस्तों ने ये देखा, वो सब अर्जुन को मारने के लिए उसपर टूट पड़े।
अर्जुन को उन लड़कों से लड़ते हुए वहां बैठी पूनम की सहेली देख लेती है । वो भागते हुए पूनम के पास जाती है और उसे इस बारे मे बता देती है ।
जैसे ही पूनम को पता चला की अर्जुन की कुछ लड़कों से लड़ाई हो गई है तो वो कैंटीन की तरफ दौड़ पड़ती है ।
जब पूनम कैंटीन पहुंची तो उसने देखा, अर्जुन चार पांच लड़को से अकेला लड़ रहा था ।
पूनम उन लोगों को छुड़वाने के लिये उनकी लड़ाई के बिच मे घूंस जाती है । वो उन लोगों को छुड़वाने की कोशिश कर ही रही होती है की तभी एक लड़का पूनम को धक्का मार देता है ।
पूनम उस लड़के के धक्के से खुदको संभाल नहीं पाती और नीचे गिर पड़ती है ।
जैसे ही अर्जुन अपनी बहन पूनम को निचे गिरा देखता है , उसका गुस्सा सातवे आसमान पर पहुंच जात है। वो उन लड़कों को उठा उठा कर पटकना शुरू कर देता है । ऐसा लग रहा था जैसे अर्जुन उन लड़को को जान से मार देगा।
अर्जुन का ऐसा खतरनाक रूप देख कर वहां मौजूद दूसरे स्टूडेंट्स बहुत ज्यादा घबरा जाते हैं । तभी वहां खड़े स्टूडेंट्स में एस एक लड़का भागता हुआ प्रिंसिपल के पास जात है और उन्हें सब कुछ बता देता है।
उस लड़के की बात सुनकर प्रिंसिपल को बोहोत ज्यादा गुस्सा आने लगता है । उन्हे ये बिलकुल भी बर्दाश नही था की उनके कॉलेज मे कोई लड़ाई झगड़ा करे। वो गुस्से में अपने ऑफिस से निकलकर कैंटीन की तरफ बढ़ने लगते हैं ।
आखिर क्या है इस अर्जुन दीक्षित का सच ? आखिर वो अमीर आदमी अर्जुन जैसे मिडिल क्लास परिवार के लड़के को अपना बेटा क्यों बोल रहा था ?
सभी सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी लिखी कहानी, “तू ही है आशिकी